वो इश्क़ हि क्या जिसमे हिसाब हो...
मोहब्बत तो हमेशा बेहिसाब होती है.
थे केक की फ़िक्र में सो रोटी भी गई, चाही थी शै बड़ी सो छोटी भी गई । वाइज़ की नसीहतें न मानी आख़िर, पतलून की ताक में लंगोटी भी गई ।
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वो इश्क़ हि क्या जिसमे हिसाब हो...
मोहब्बत तो हमेशा बेहिसाब होती है.
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