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Showing posts from February, 2015

सफ़र लिख दे

सफ़र लिख दे, रास्ता ही लिख दे किसी मंज़िल से, मेरा वास्ता ही लिखदे ऐसा क्यूँ है, के बेमक़सद जिए जा रहा हूँ मैं मेरी क़िस्मत में, कोई हादसा ही लिख दे

बेपर्दा तो अब हम सरेआम हो गए

बेपर्दा तो अब हम सरेआम हो गए, तेरे ईश्क़ में जालिम बदनाम हो गए | सम्मोहन विद्या तूने ऐसी चलाई, दो पल में हम तेरे गुलाम हो गए | छोड़ दिया खाना जब याद में तेरे, दो हफ्तों में ही चूसे हुए आम हो गए | चुराया था तूने जबसे चैन को मेरे, रात सजा और दिन मेरे हराम हो गए | जुदाई तेरी मुझसे जब सही न गई, खाली कितने जाम के जाम हो गए | गम में तेरे कुछ इस कदर रोया, हृदय के भीतर कोहराम हो गए | सोचता रहा मैं दिन-रात ही तुझे, खो दिया सबकुछ, बेकाम हो गए | समझा था मैंने, तुझे सारे तीरथ, सोचा था तुम ही मेरे धाम हो गए | पता नहीं क्या-क्या सपने सँजो लिए, फोकट में ही इतने ताम-झाम हो गए | चक्कर में तेरे जिस दिन से पड़ा, उल्टे-पुल्टे मेरे सारे काम हो गए | फेसबुक में देखा तो हूर थी लगी, मिला तो अरमाँ मेरे धड़ाम हो गए | कस जो लिया तूने बाहों में अपने, लगने लगा जैसे राम नाम हो गए | एक बार तो मुझको ऐसा भी लगा, चाहतों के मेरे क्या अंजाम हो गए | टॉप-अप जो तेरा बार-बार करवाया, कपड़े तक भी मेरे नीलाम हो गए | चाहकर तुझको शायद पाप कर लिया, नरक में जाने के इंतजाम हो गए | चबाया है तूने ऐसे प्यार