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देखा मनाज़िरों का

देखा मनाज़िरों का बहुत उसने रंग-ढंग,
अकबर के दिल में अब न रही बहस की उमंग।
-अकबर इलाहाबादी
(मनाज़िर = मंज़र का बहुवचन, दृश्य समूह)

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