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दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार

दुनिया में हूँ दुनिया का तलबगार नहीं हूँ
बाज़ार से गुज़रा हूँ खरीदार नहीं हूँ
ज़िंदा हूँ मगर ज़ीस्त की लज़्ज़त नहीँ बाकी
हर चंद के हूँ होश में, हुशियार नहीं हूँ
- अकबर इलाहाबादी

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