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बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी

बात करनी मुझे मुश्किल कभी ऐसी तो न थी;
जैसी अब है तेरी महफ़िल कभी ऐसी तो न थी;

ले गया छीन के कौन आज तेरा सब्र-ओ-क़रार;
बेक़रारी तुझे ऐ दिल कभी ऐसी तो न थी;

उन की आँखों ने ख़ुदा जाने किया क्या जादू;
के तबीयत मेरी माइल कभी ऐसी तो न थी;

चश्म-ए-क़ातिल मेरी दुश्मन थी हमेशा लेकिन;
जैसी अब हो गई क़ातिल कभी ऐसी तो न थी;

क्या सबब तू जो बिगड़ता है 'ज़फ़र' से हर बार;
ख़ू तेरी हूर-ए-शमाइल कभी ऐसी तो न थी।

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