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Sharaab - शराब

Sharaab -  शराब

ग़म इस कदर बढे कि घबरा कर पी गया;
इस दिल की बेबसी पर तरस खा कर पी गया;
ठुकरा रहा था मुझे बड़ी देर से ज़माना;
मैं आज सब जहां को ठुकरा कर पी गया!

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यूँ तो ऐसा कोई ख़ास याराना नहीं ​है ​मेरा​;​
​​शराब से...​
इश्क की राहों में तन्हा मिली ​ तो;​​​
हमसफ़र बन गई.......​

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कुछ तो शराफ़त सीख ले, ऐ इश्क!, शराब से..
बोतल पे लिखा तो है, मै जानलेवा हूँ...

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